झारखंड के 5 रहस्यमय धार्मिक मंदिर | TOP 5 TEMPLES IN JHARKHAND |BEST TEMPLE VISIT IN JHARKHAND
झारखंड एक प्राचीन राज्य है। झारखंड का इतिहास यहां के धर्मों के इतिहास जितना ही पुराना है। दोस्तों क्या आप यकीन कर सकते हैं कि झारखंड में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जो देश के पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले मंदिर हैं। नमस्कार दोस्तों एक बार फिर आज हम बात करेंगे झारखंड के टॉप-05 अद्भुत और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, जिनकी चर्चा सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि भारत के अन्य राज्यों में भी होती है। भारत में हजारों रहस्यमयी मंदिर हैं, लेकिन आज मैं आपको झारखंड के कुछ खास और रहस्यमयी मंदिरों की जानकारी दूंगा, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
नंबर 01 वैद्यनाथ मंदिर
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र वैद्यनाथ शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, इसलिए यहां के शिवलिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। यह भारत का 12वां ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वैसे तो सभी शिव मंदिरों के शिखर पर त्रिशूल लगा हुआ है, लेकिन परिसर में मौजूद सभी मंदिरों के पंचशूल पर ही पंचतत्व लगे हुए हैं, जिन्हें सुरक्षा कवच कहा जाता है। माना जाता है कि इसी सुरक्षा कवच की वजह से आज तक इस मंदिर पर किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा का असर नहीं पड़ा है। 72 फीट ऊंचे शिव मंदिर के अलावा यहां मंदिर परिसर में 22 अन्य मंदिर स्थापित हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी सती का हृदय गिरा था, जिसकी वजह से इस स्थान को हरित पीठ के नाम से भी जाना जाता है दोस्तों और इसी वजह से यह देश का पहला ऐसा स्थान है जहां ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ शक्ति पीठ भी है और इसी वजह से इस स्थान की महिमा और भी बढ़ जाती है।
नंबर 02 छिन्नमस्तिका मंदिर
झारखंड की राजधानी रांची से 80 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। छिन्नमस्तिका मंदिर मन्नतों और मनोकामनाओं का मंदिर है। यहां मरीजों के कष्ट कैसे दूर होते हैं? तंत्र साधना कहां होती है और इसे चमत्कारों का मंदिर क्यों कहा जाता है? आइये जानते हैं इस मंदिर दोस्तों, यह करीब छह सौ साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर जितना अद्भुत है, उतना ही अद्भुत भी है। यहां मां की बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा की जाती है। उनके बगल में डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं, जिनका वह वध कर रही हैं और खुद का भी वध कर रही हैं। उनके गले से खून की तीन धाराएं बह रही हैं। मंदिर के सामने बलि के लिए एक स्थान है। यहां हर दिन करीब 200 बकरों की बलि दी जाती है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी संख्या में बलि दिए जाने के बावजूद इस स्थान पर एक भी बकरा नजर नहीं आएगा। कहा जाता है कि मां छिन्नमस्तिका मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है। भैरवी और दामोदर के संगम पर स्थित यह मंदिर सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है।
नंबर 03 देवड़ी मंदिर
यह मंदिर रांची से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। क्रिकेट जगत के सबसे चहेते सितारे यानी महेंद्र सिंह धोनी से लेकर कई बड़ी हस्तियां यहां बार-बार माही के दर्शन करने आ चुकी हैं। इस वजह से इस मंदिर को काफी प्रसिद्धि मिली है। 2011 में जब धोनी ने भारत के लिए विश्व कप जीता था, तो वे सबसे पहले मां के दरबार में प्रार्थना करने गए थे और जीतने के बाद भी धोनी अपनी पत्नी साक्षी के साथ सबसे पहले मां का शुक्रिया अदा करने गए थे। इतना ही नहीं, इस मंदिर के निर्माण को लेकर कई सदियों से बहस चल रही है, लेकिन इस बात पर कोई आम सहमति नहीं है कि इसका निर्माण किसने और कब और क्यों कराया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना मध्यकाल में सिंबू, केरा के मुंडा राजा ने युद्ध में पराजित होने के बाद लौटते समय की थी। एक पौराणिक कहानी में बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना होते ही राजा को अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था। देश के अन्य मंदिरों की तुलना में इस मंदिर की मान्यता और विशेषता अलग है। यहां आपको पुजारी की भूमिका में आदिवासी लोग मिलेंगे। इस मंदिर में सुलभ कव्वाली मां दुर्गा की मूर्ति है जो करीब साढ़े तीन फीट ऊंची है। क्रमांक
04 पहाड़ी मंदिर
समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर रांची पहाड़ी की चोटी पर स्थित पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। झारखंड की राजधानी रांची के पहाड़ी मंदिर की कहानीयह बहुत दिलचस्प है कि एक समय था जब इस पहाड़ी को फांसी डोंगरी के नाम से जाना जाता था। पहाड़ी पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी से पहले अंग्रेजों के कब्जे में था और वे यहां स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देते थे, इसलिए इस पहाड़ी को फांसी डोंगरी के नाम से भी जाना जाता था। इतना ही नहीं, यह देश का पहला मंदिर है जहां तिरंगा फहराया जाता है। आजादी के बाद से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर इस मंदिर पर धार्मिक ध्वज के साथ राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया जाता है। वैसे, मंदिर तक पहुंचने के लिए 468 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर से पूरे रांची शहर का बेहद खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
नंबर 05 उग्र तारानगर मंदिर
झारखंड के लातेहार जिले में स्थित एक हजार साल पुराना मंदिर है। यह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। आस्था और विश्वास को कभी किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण लातेहार जिले में स्थित मां उग्रतारा नगर मंदिर है। कहा जाता है कि जब कोई भक्त कोई मनोकामना करता है और उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो मंदिर परिसर में पांच झंडे लगाए जाते हैं। यह मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है, लेकिन इसकी मान्यता अन्य मंदिरों से काफी अलग है। दरअसल, यह देश का पहला ऐसा मंदिर है जहां 16 दिनों तक नवरात्रि की पूजा होती है।