Top 5 most Strange Fort in Jharkhand 2024 |झारखण्ड का सबसे रहस्यमयी किला जान कर सोच में पड़ जायेंगे
झारखंड में मौजूद किले का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है लेकिन इनमें से कुछ किले ऐसे भी है जो अपने ऐतिहासिक महत्व की वजह से नहीं बल्कि अपने रहस्यमय होने की वजह से ज्यादा जाने जाते हैं और आज हम आपको ऐसे ही झारखंड के पांच सबसे खतरनाक या कहे रहस्यमय किलों के बारे में बताने वाले हैं
(1.) पद्मा किला (Padma Fort)
जिसमें सबसे पहला है पद्मा किला हजारीबाग की खूबसूरत ऐतिहासिक धरोहर में से एक पद्मा किला (Padma Fort) अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं पद्मा किला हजारीबाग का एक टूरिस्ट स्पॉट भी है इसकी दीवारों पर की गई नकाशी कलाकृतियां और किले की बनावट सदियों पुरानी है यह पद्मा किला रामगढ़ के राजा का किला था और यह किला हजारीबाग टाउन से Approx 22 किमी की दूरी पर स्थित है यह राजा रामनारायण सिंह के वंशजों का इतिहासिक किला है जब आप इस किले को देखने जाएंगे तब आपको इसमें प्राचीन भारत की कुशल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना देखने को मिलेगा पर यह किला जितना सुंदर है उससे भी ज्यादा यह रहस्यमय है आज भले ही यह किला अपनी सुंदरता खोता जा रहा हो पर इसे देखकर आपको यह तो समझ आ ही जाएगा कि यह बाहर से लेकर अंदर तक बेहद सुंदर था
अब आपके मन में इस किले को लेकर यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि इतना सुंदर होते हुए भी आखिर यह किला इतना रहस्यमय क्यों माना जाता है दरअसल ऐसा माना जाता है कि इस किले मेंबहुत सी सुरंगे मौजूद है साथ ही यहां के तहखाने में बहुत से खजाने हुआ करते थे| कहा जाता है कि जिसका कुछ अंश आज भी मौजूद है जो कि लोगों के लिए आज भी एक रहस्य बना हुआ है राजा ने इस किले में बहुत ही ऊंची दीवारें बनवाई थी क्योंकि वह चाहते थे कि कोई भी उनकी रानी या महल की महिलाओं को देख ना सके |
(2.) नवरत्न गढ़ किला
अगला है नवरत्न गढ़ किला यह नवरत्न गढ़ किला झारखंड के गुमला जिले के सिस प्रखंड में स्थित है इस किले का निर्माण छोटा नागपुर नागवंशी शासक दुर्जन शाह के द्वारा कराया गया था 16 वीं शताब्दी के दरमियान बना यह किला आज भी झारखंड के उस धरोहर को सजाए हुए हैं जो स्थापत्य कला और निर्माण कला का एक अजूबा उदाहरण है.नवरत्न गढ़ का निर्माण कराने वाले राजा दुर्जन शाह को इतिहास में हीरे की पारखी के रूप में जाना जाता था वैसे मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने देश के 12 लोकेशन का चयन किया है जिसमें यह नवरत्न गढ़ किला भी शामिल है इसके साथ ही इस नवरत्न गढ़.किला को झारखंड का हपी भी कहा जाता है यह किला पांच मंजिला था और हर मंजिले पर नौ-नौ कमरे थे पर आज किले की एक मंजिल जमीन में धस चुकी है इस किले को भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया था और 2021 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा खुदाई शुरू किया गया और इस खुदाई में बहुत से रहस्य सामने आए |
ऐसा भी माना जा जाता है कि किले में एक रहस्यमय सुरंग भी है जो किले के सबसे निचले भाग से होकर किले से बाहर निकलती है कहा जाता है कि इस सुरंग को.आपातकालीन स्थिति में शाही परिवार के लोगों को सुरक्षित बाहर पहुंचाने के लिए बनवाया गया था यह किला अपने अंदर कई ऐतिहासिक धरोहर को समेटे हुए हैं जो वास्तु कला के अद्भुत उदाहरण पेश करते हैं.यहां नवरत्न गढ़ किला के साथ राज दरबार रानी का तालाब रानी महल दुर्गा मंदिर का छिपी मठ जगन्नाथ मंदिर इत्यादि है |
(3.) पिठोरीया किला
अगला है पिठोरीया किला राजा जगतपाल सिंह द्वारा बनवाया गया यह किला अपने जमाने में छोटा नागपुर के भव्य किलों में गिना जाता था इस किले की दीवारें आज भी अपने अंदर बहुत से रहस्यों को संजो कर रखा है इतिहास के इस अनूठे अंश को देखने के लिए लोग इस किले पर जाते हैं पिठोरीया किला का यह क्षेत्र राजा मुद्रा मुंडा और नागवांशो का केंद्र था यह गाथा यहां राजा जयमंगल सिंह और उनके बेटे जगतपाल सिंह की है| 30 एकड़ में फैले इस दो मंजिली महल की बनावट मुगल कालीन वास्तुकला पर आधारित थी और माना जाता है कि यहां से 100 ज्यादा कमरे हुआ करते थे राजा जगतपाल ने अपने साम्राज्य बचाने के लिए अंग्रेजों का हाथ थाम लिया था यही नहीं पिठोरीया पहाड़ पर अपने सैनिकों की तैनाती की जिससे अंग्रेजों की रक्षा की जा सके आज यह किला जगतपाल सिंह की गद्दारी की कहानी बया करता.है |
आप सोच रहे होंगे कि इस किले में ऐसी कौन सी रहस्यमय बातें हैं जिससे यह किला एक श्रापित किला बन गया है क्रांतिकारी विश्वनाथ सहदेव ने जगतपाल सिंह को श्राप दिया और कहा कि कोई तुम्हारा नाम निशान देने वाला नहीं रहेगा दरअसल जगतपाल सिंह ने अंग्रेजों को विश्वनाथ सहदेव की सूचना दे दी थी विश्वनाथ सहदेव गिरफ्तार हो गए और राज्य के जिला स्कूल प्रांगण में उनको फांसी दे दी गई जाते-जाते विश्वनाथ सहदेव ने जगतपाल सिंह को यह श्राप दिया कि उनका नामो निशान मिट जाएगा और जब कभी भी सावन का महीना आता है बारिश होती है यहां बिजली गिरती ही है और उस बज्रपात में इस किले का एक हिस्सा टूटकर गिर जाता है और सैकड़ों साल बाद भी यह सिलसिला आज भी जारी है श्रापित किला में आज भी कई Raaj कहीं ना कहीं दफन है यह किला झारखंड की राजधानी रांची से 18 किलोमीटर दूर इटोरिया में स्थित है
(4.) रातू किला
अगला है रातू किला यह रातू किला झारखंड की राजधानी रांची में स्थित है इस रातू पैलेस को नागवंशी शासन के वें राजा प्रताप उदयनाथ सहदेव ने बनवाया था फनी मुकुट राय नागवंश के पहले राजा थे ऐसा कहा जाता है कि बचपन में फनी मुकुट राय की रक्षा नाग ने फन फैलाकर की थी लगभग 22 एकड़ में फैले इस किले का निर्माण 1991 में बनकर तैयार हुआ इस दो मंजिली किले में कुल कमरे हैं यहां अंग्रेजों के जमाने में युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले अस्त्र-शस्त्र आपको इस महल में देखने को मिलेंगे आज भी इसकी मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल बीतने के बाद भी यह किला उसी स्थिति में खड़ा है|
अब आप सोच रहे होंगे कि इतने खूबसूरत किले को वह कौन सी बात रहस्यमय बनाती है माना जाता है कि फनी मुकुट राय शक्ति के उपासक थे राजा ने मां दुर्गा की प्रति स्थापित कर दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी माता को प्रसन्न करने के लिए भैंसे की बलि देकर पूजा की थी और उनकी इसी प्रथा को आज भी इस रात किला में बरकरार रखा गया है उस समय इस बलि को देखने के लिए पूरे देश से रातू किला आते थे बली के बाद बली से गिरे खून को ग्रामीण कपड़े.में उठाकर अपने घर ले जाते थे ऐसा माना.जाता था कि इस खून से पुराना से पुराना रोग ठीक हो जाता है आप इस बात को रहस्यमय या फिर एक आस्था के रूप में देख सकते हैं |
(5.) नवागढ़ किला
अगला है नवागढ़ किला यह किला झारखंड के लातेहार जिला से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह किला 16 वीं शताब्दी में चेरो राजा भगवत राय के अकाउंटेड जज दस ने बनवाया था और ऐसा माना जाता है कि यह किला एक गुप्त किला हुआ करता था और इस किले को आक्रमणकारियों से छिपने के लिए बनाया गया था कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह चेरो राजाओं का गुप्त संपत्ति रखने का भी केंद्र था और और ऐसा भी माना जाता है कि राजाओं का खजाना आज भी इस किले में दबा हुआ है|
यह किला उस जमाने की बेहतरीन कलाकृतियों में से एक बताया जाता है और स्थानीय लोग बताते हैं कि यह किला डरावना इसलिए है क्योंकि यहां बहुत से लोगों की मृत्यु हो चुकी है और आज भी लोग बताते हैं कि रात.में यहां कोई नहीं जाना चाहता हमारा देश यूं तो राजा और प्रजा के सिद्धांतों पर आगे बढ़ता रहा है लेकिन इसी दौर में उन्होंने कई अंश सुलझे राज को अपने साथ छोड़ गए हैं और इन सारे किलों में वह अनसुलझे राज आज भी दफन है |