क्या आपको पता है माता सती के 51 टुकड़े कहा गिरे ?
51 शक्ति पीठों का वर्णन हिंदू धर्म के पुराणों में मिलता है। ये शक्तिपीठ देवी सती के अंग, वस्त्र, या आभूषण गिरने से संबंधित स्थान हैं। इस कथा का उल्लेख “शिव पुराण” और “दुर्गा सप्तशती” में किया गया है। यहां 51 शक्तिपीठों के नाम, स्थान, और उनके महत्व का वर्णन किया गया है:
शक्ति पीठों की उत्पत्ति की पौराणिक कथा:
देवी सती, जो भगवान शिव की पत्नी थीं, प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। देवी सती इस उपेक्षा से आहत होकर यज्ञ में चली गईं। वहां पहुंचकर उन्होंने अपने पिता द्वारा शिव का अपमान होते देखा और दुखी होकर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया।
जब भगवान शिव को इसकी जानकारी मिली, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और देवी सती के शरीर को उठाकर तांडव नृत्य करने लगे। इससे सृष्टि में भारी संकट उत्पन्न हो गया। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभाजित कर दिया। ये टुकड़े जिन-जिन स्थानों पर गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
51 शक्ति पीठों की सूची और उनका महत्व:
- श्रीशैल मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश)
- अंग: गर्दन
- महत्व: दक्षिण भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक
- सतीशिला देवी (मंदार पर्वत, बिहार)
- अंग: गला
- महत्व: मंदार पर्वत पर स्थित
- छिन्नमस्तिका देवी (राजरप्पा, झारखंड)
- अंग: सिर
- महत्व: यहाँ सती के सिर की पूजा होती है
- हिंगलाज देवी (बलूचिस्तान, पाकिस्तान)
- अंग: सिर
- महत्व: प्रमुख तांत्रिक साधना स्थल
- भ्रामरी देवी (कुशीनगर, उत्तर प्रदेश)
- अंग: बाएं घुटने
- महत्व: कूचबिहार में स्थित
- मंगलाचरण देवी (गुहाटी, असम)
- अंग: हाथ
- महत्व: गुवाहाटी के पास
- बैरवा देवी (महेंद्रगिरि, ओडिशा)
- अंग: पांव
- महत्व: यहां देवी का अंगूठा गिरा था
- मुक्तकेशी देवी (चित्तगोंग, बांग्लादेश)
- अंग: कंधे
- महत्व: चट्टगाँव के समीप स्थित
- भद्रकाली देवी (अर्थशिला, महाराष्ट्र)
- अंग: हाथ की अंगुलियां
- महत्व: दक्षिण भारत की प्रसिद्ध पीठ
- जगेश्वरी देवी (बोधगया, बिहार)
- अंग: वक्षस्थल
- महत्व: बिहार का प्रमुख शक्तिपीठ
- कौशिकी देवी (गया, बिहार)
- अंग: बायां पैर
- महत्व: गया में स्थित
- भ्रामरी देवी (त्रिपुरा, नेपाल)
- अंग: घुटना
- महत्व: नेपाल का प्रमुख शक्तिपीठ
- हरसिद्धि देवी (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
- अंग: कोहनी
- महत्व: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास
- शैलपुत्री देवी (देवगढ़, झारखंड)
- अंग: पांव
- महत्व: यहां देवी का अंगूठा गिरा था
- माहेश्वरी देवी (भरतपुर, राजस्थान)
- अंग: निचला होठ
- महत्व: राजस्थान का प्रमुख शक्तिपीठ
- सप्तश्रंगी देवी (नासिक, महाराष्ट्र)
- अंग: ऊपरी होंठ
- महत्व: महाराष्ट्र की शक्तिपीठ
- यशोरेश्वरी देवी (जेसोर, बांग्लादेश)
- अंग: बायां हाथ
- महत्व: बांग्लादेश की महत्वपूर्ण शक्तिपीठ
- उमा देवी (विद्याचल, उत्तर प्रदेश)
- अंग: स्तन
- महत्व: माँ उमा का निवास
- धूमावती देवी (काशी, उत्तर प्रदेश)
- अंग: केश
- महत्व: देवी का केश गिरा था
- कामेश्वरी देवी (नेपाल)
- अंग: कमर
- महत्व: नेपाल का प्रमुख शक्तिपीठ
- श्री ज्वाला देवी (हिमाचल प्रदेश)
- अंग: जीभ
- महत्व: जीभ का शक्ति रूप
- चंद्रहासिनी देवी (नागरजुन, आंध्र प्रदेश)
- अंग: हाथ
- महत्व: यहाँ हाथ गिरा था
- कांची कामकोटी देवी (कांची, तमिलनाडु)
- अंग: नाभि
- महत्व: यहाँ देवी की नाभि गिरी थी
- कपालेश्वरी देवी (सिंगापुर)
- अंग: कपाल
- महत्व: सिंगापुर का एकमात्र शक्तिपीठ
- श्री महालक्ष्मी देवी (कोल्हापुर, महाराष्ट्र)
- अंग: बायां हाथ
- महत्व: यहाँ देवी का बायां हाथ गिरा था
- कालिका देवी (असम)
- अंग: कमर
- महत्व: देवी की कमर का स्थान
- भैरवी देवी (गया, बिहार)
- अंग: गला
- महत्व: यह स्थल भी गया में स्थित है
- गुह्येश्वरी देवी (काठमांडू, नेपाल)
- अंग: बायां पैर
- महत्व: पशुपतिनाथ के पास
- कंकेल देवी (कटरा, जम्मू-कश्मीर)
- अंग: हड्डी
- महत्व: वैष्णो देवी के पास
- कालीघाट देवी (कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
- अंग: नाभि
- महत्व: दक्षिणेश्वर के पास
- नंदिकेश्वरी देवी (साहेबगंज, झारखंड)
- अंग: गला
- महत्व: झारखंड का प्रमुख शक्तिपीठ
- युगनलाता देवी (कन्याकुमारी, तमिलनाडु)
- अंग: निचला होंठ
- महत्व: दक्षिण का प्रमुख शक्तिपीठ
- महेश्वरी देवी (गुलबर्गा, कर्नाटक)
- अंग: नेत्र
- महत्व: कर्नाटक का प्रमुख शक्तिपीठ
- काली देवी (पेशावर, पाकिस्तान)
- अंग: गला
- महत्व: पाकिस्तान का प्रमुख शक्तिपीठ
- अमरनाथ देवी (कश्मीर)
- अंग: हड्डी
- महत्व: पवित्र गुफा के पास
- कामाख्या देवी (गुवाहाटी, असम)
- अंग: योनि
- महत्व: तांत्रिक साधना
46.विंध्यवासिनी देवी (विंध्याचल, उत्तर प्रदेश)
– अंग: वक्षस्थल
– महत्व: विंध्याचल का प्रमुख शक्तिपीठ
- उज्जयनी देवी (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
- अंग: कोहनी
- महत्व: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास
- कांची देवी (कांचीपुरम, तमिलनाडु)
- अंग: बायां कंधा
- महत्व: दक्षिण भारत का शक्तिपीठ
- भद्रकाली देवी (कुरुक्षेत्र, हरियाणा)
- अंग: दायां पैर
- महत्व: महाभारत से संबंधित
- विजयवाड़ा देवी (आंध्र प्रदेश)
- अंग: बाल
- महत्व: विजयवाड़ा का प्रमुख शक्तिपीठ
- चामुंडेश्वरी देवी (मैसूर, कर्नाटक)
- अंग: नाभि
- महत्व: मैसूर का शक्तिपीठ