आखिर क्या है पद्मनाभस्वामी मंदिर और छठे दरवाजे का रहस्य
पद्मनाभस्वामी मंदिर, भारत के केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम में स्थित है, और यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप पद्मनाभस्वामी को समर्पित है। इस मंदिर को दुनिया के सबसे धनी मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर सिर्फ अपनी भव्यता और समृद्धि के लिए ही नहीं, बल्कि इसके रहस्यमयी दरवाजों के लिए भी जाना जाता है, विशेष रूप से छठे दरवाजे के लिए, जिसे खोलने का साहस आज तक कोई नहीं कर पाया है। इस दरवाजे के पीछे छिपे रहस्य, इतिहास, और पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास
पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। यह मंदिर त्रावणकोर के महाराजाओं के संरक्षण में रहा है, और यहां भगवान विष्णु की एक भव्य मूर्ति स्थापित है, जो शेषनाग पर शयन कर रहे हैं। यह मूर्ति 18 फीट लंबी है और इसे एक पत्थर से तराशा गया है। इस मंदिर का निर्माण मूल रूप से 8वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन इसे 16वीं शताब्दी में त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने पुनर्निर्मित किया और इसे उसकी वर्तमान भव्यता प्रदान की।
मंदिर की संरचना और स्थापत्य कला अद्वितीय है, जिसमें द्रविड़ और केरल शैली का मिश्रण दिखाई देता है। इसके मुख्य प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है, जो 100 फीट ऊंचा है और यह मंदिर के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
मंदिर के रहस्यमय तहखाने
पद्मनाभस्वामी मंदिर के अंदर सात तहखाने या “कल्लारा” स्थित हैं, जिनमें से छह को 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खोला गया था। जब इन तहखानों को खोला गया, तो उनमें से अरबों रुपये मूल्य की संपत्ति मिली, जिसमें सोने के सिक्के, आभूषण, और बहुमूल्य रत्न शामिल थे। इस संपत्ति का अनुमानित मूल्य 22 अरब डॉलर से भी अधिक है, जिससे इस मंदिर को दुनिया का सबसे धनी मंदिर घोषित किया गया।
इन तहखानों में से पांच को आसानी से खोला गया और उनमें संपत्ति मिली, लेकिन छठा तहखाना, जिसे “बेडी कल्लारा” या “चेम्बर बी” के नाम से जाना जाता है, सबसे रहस्यमय और खतरनाक माना जाता है। इसे खोलने का प्रयास आज तक नहीं किया गया, क्योंकि इसे खोलने से जुड़ी कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं हैं, जो इसे एक भयानक रहस्य बनाती हैं।
छठे दरवाजे का रहस्य
छठे दरवाजे, या चेम्बर बी, के बारे में कहा जाता है कि यह दरवाजा नागों द्वारा संरक्षित है, और इसे केवल विशेष मंत्रों के माध्यम से ही खोला जा सकता है। इस दरवाजे पर दो विशाल कोबरा नागों की आकृतियां उकेरी गई हैं, जो इसे और भी भयावह बनाती हैं। मंदिर के पुजारी और त्रावणकोर के राजघराने के सदस्य मानते हैं कि यह दरवाजा भगवान विष्णु के शयनकक्ष के रूप में कार्य करता है, और इसे खोलने से अनहोनी घटनाएं हो सकती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अगर इस दरवाजे को जबरदस्ती खोला गया, तो इससे अपार विपत्ति और विनाश हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस दरवाजे के पीछे देवी-देवताओं और नागों का खजाना छिपा है, जो अत्यंत पवित्र और संरक्षित है। अगर इसे खोला गया, तो इससे नागों का कोप और प्रलयकारी घटनाएं हो सकती हैं।
मंत्रों का रहस्य
छठे दरवाजे को खोलने के लिए विशेष मंत्रों की आवश्यकता होती है, जिसे “गरुड़ मंत्र” कहा जाता है। यह मंत्र केवल उच्च कोटि के विद्वान और सिद्ध साधक ही जानते हैं। मान्यता है कि जब तक यह मंत्र सही तरीके से नहीं पढ़ा जाएगा, तब तक दरवाजा नहीं खुलेगा। और अगर कोई इस मंत्र को सही ढंग से नहीं पढ़ता है या दरवाजे को जबरदस्ती खोलने का प्रयास करता है, तो इससे दरवाजे के अंदर से विनाशकारी शक्तियां निकल सकती हैं।
विज्ञान और धार्मिक मान्यताओं का संघर्ष
जहां एक ओर वैज्ञानिक और पुरातत्वविद इस दरवाजे के पीछे छिपे खजाने और इतिहास को जानने के इच्छुक हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक मान्यताएं और स्थानीय लोगों का भय इस दरवाजे को खोलने के खिलाफ है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो, इस दरवाजे के पीछे संभवतः अपार संपत्ति या ऐतिहासिक धरोहर हो सकती है, जिसे खोजा जाना चाहिए। लेकिन धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसे खोलना किसी बड़े खतरे को न्यौता देना हो सकता है।
2011 में, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अन्य तहखानों को खोला गया, तो भी छठे दरवाजे को खोलने का प्रयास नहीं किया गया। इसके पीछे का कारण यही था कि इस दरवाजे के पीछे छिपी रहस्यमय शक्तियों का सामना करने की हिम्मत किसी में नहीं थी। इसके अलावा, दरवाजे पर बने नागों की आकृतियों और दरवाजे के आसपास की विद्युत चुम्बकीय गतिविधियों ने इसे और भी भयावह बना दिया।
त्रावणकोर राजघराने की भूमिका
त्रावणकोर राजघराना, जो पद्मनाभस्वामी मंदिर के संरक्षक हैं, इस दरवाजे को खोलने के खिलाफ हैं। उनके अनुसार, यह दरवाजा भगवान पद्मनाभस्वामी की निजी संपत्ति है, और इसे खोलने से मंदिर और राज्य की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। राजघराने के अनुसार, इस दरवाजे को केवल भगवान विष्णु के विशेष आदेश पर ही खोला जा सकता है, और जब तक ऐसा कोई आदेश नहीं मिलता, तब तक इसे बंद ही रखा जाएगा।
मीडिया और जनता की जिज्ञासा
छठे दरवाजे के रहस्य ने मीडिया और जनता की भी बड़ी जिज्ञासा उत्पन्न की है। कई लोग इसे खोलने के पक्ष में हैं, ताकि इसके पीछे छिपे खजाने और रहस्यों का पता चल सके। लेकिन साथ ही, कई लोग धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के डर से इसे खोलने के खिलाफ हैं। इस दरवाजे के बारे में कई कहानियां और अफवाहें भी फैली हुई हैं, जो इसे और भी रहस्यमय बनाती हैं।
समुदाय की धार्मिक आस्था और मान्यताएं
केरल और भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग पद्मनाभस्वामी मंदिर को अत्यंत पवित्र और पूजनीय मानते हैं। उनकी मान्यता है कि इस दरवाजे को खोलना भगवान विष्णु के आदेश के बिना नहीं होना चाहिए, और इसे खोलने का प्रयास करना भगवान का अपमान होगा। इस कारण से, मंदिर के पुजारी, राजघराना, और स्थानीय लोग इस दरवाजे को खोलने के खिलाफ एकजुट हैं।